अखिलेश यादव और उनका कार्यकाल

यह पूछने जैसा है कि रॉबिन हुड अपने लोगों के लिए क्या कर रहा है। इसके बारे में चिल्लाना नहीं है। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने यूपी को सबसे अधिक प्रभावित उन्नत विकसित राज्य में सामने लाने के लिए काफी कुछ किया है।उत्तर प्रदेश 204.2 मिलियन की आबादी के साथ भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है और इसे भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य माना जाता है। राज्य में 403 विधानसभा के साथ 80 लोकसभा सीटें हैं और 821 सामुदायिक ब्लॉकों में विभाजित किया गया है। शहरी और ग्रामीण आबादी दोनों ही बड़ी संख्या में हैं, इसलिए, किसी एक क्षेत्र को बाकी के लिए प्रदान किए बिना मदद नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार आर्थिक विकास, ढांचागत विकास और मानव विकास सूचकांक को बढ़ावा देने के लिए शहरी और ग्रामीण विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है। पिछले कुछ वर्षों में, समाजवादी पार्टी के शासन में एचडीआई बढ़ा है और यह लोगों के कल्याण का एक स्पष्ट संकेत है, टाटा ट्रस्ट के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने से लेकर कन्या विद्या धन के माध्यम से लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने अखिलेश यादव सरकार के विकास कार्यों में मुफ्त लैपटॉप वितरण, कन्या विद्या धन, बेरोजगारी भत्ता, कृषि ऋण माफी शामिल है। बुनियादी ढांचे पर सरकार। आईटी सिटी, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इनमें से कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और बाकी पूरी होने के करीब हैं। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए नई घोषणाएं की गई हैं। खेल क्षेत्र के विकास और संवर्धन के लिए लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है और यह पूरा होने के बहुत करीब है। इसी लक्ष्य के साथ विभिन्न जिलों में कई खेल परिसरों का निर्माण किया गया है। साथ ही राज्य का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ी को अखिलेश सरकार ने सम्मानित किया है. कानून व्यवस्था के लिए पुलिस का आधुनिकीकरण किया गया है। डायल 100 को इस साल के अंत तक लॉन्च किया जाना है। सभी अधिकारियों को सोशल मीडिया पर उपलब्ध कराना। प्रदेश की महिलाओं के लिए 1090 महिला बिजली लाइन भी शुरू की गई है। जनसुनवाई पोर्टल जनशिकायत में तेजी लाने के लिए शुरू किया गया है। परिवहन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नई सड़कों का निर्माण और पहले से मौजूद सड़कों को चौड़ा करना। इस तरह अखिलेश सरकार ने लगभग हर क्षेत्र और हर क्षेत्र में काम किया है. अखिलेश यादव के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने पिछले चार वर्षों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में एक पूर्ण बदलाव देखा है।



मायावती और उनका कार्यकाल

मायावती की सत्ता में दोबारा वापसी होगी या नहीं, यह तो समय ही बताएगाभारतीय समाज में यह धारणा व्याप्त है कि किसी महिला की पहचान उसके पति से ही होती है, मायावती ने इस कथन को आधारहीन साबित कर दिया है. अविवाहित होने के बावजूद आज वह सफल राजनेत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं. उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है. वह एक आत्म-निर्भर महिला हैं. उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृड़ता कूट-कूट कर भरी हैमायावती प्रदेश के इतिहास में 4 बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने वाली पहली नेता हैं। मायावती पहली बार जून 1995 में एसपी के साथ गठबंधन तोड़ कर बीजेपी और अन्य दलों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं। तब उनका कार्यकाल महज 4 महीने का था। वह दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं और तब उनकी पार्टी बीएसपी का बीजेपी के साथ गठबंधन था।सत्ता में आते ही मायावती ने पूर्व मुख्यमंत्री के काल में हुई अनियमितताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया. पुलिस भर्ती में हुई धांधली पर कड़ा रुख अपनाया जिसकी वजह से लगभग 17,868 पुलिसवालों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके अलावा मायावती के आदेशानुसार 25 आईपीएस अफसरों को सस्पेंड किया गया. मायावती ने संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भी कड़े प्रयत्न किए हैं. मायावती द्वारा किए जा रहे सामाजिक सुधारों की सूची में गैर दलित वर्गों के लोगों के उत्थान के साथ निम्न और दलित वर्गों के लोगों को आरक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दलित वर्ग के लोगों के लिए सीट आरक्षित हैं. हालांकि मायावती ने उत्तर-प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का वायदा किया था. लेकिन उनका यह वायदा किसी काम नहीं आया. इसके विपरीत मायावती सरकार के अधीन उत्तर-प्रदेश कई समस्याओं से जूझ रहा है. ताज- कोरिडोर केस- ताज कोरिडोर केस में हुए घोटालों को लेकर मायावती सीबीआई के घेरे में आ गई थीं. सन 2003 में सीबीआई ने मायावती के घर छापा मारा जिसकी वजह से उनके पास आय से अधिक धन संपत्ति होने का पता चला. जन्मदिन पर खर्च- मायावती का जन्मदिवस हर बार ही बड़े आयोजन के रूप में मनाया जाता है. समर्थकों द्वारा नोटों का हार पहनाया जाना और गरीब लोगों की चिंता को एक तरफ कर धन का अपव्यय मायावती की छवि को धूमिल करने लगा है. इतना ही नहीं वर्ष 2009 में मायावती समर्थकों ने उनके जन्मदिवस को हर वर्ष जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी कर दी. अनियमित संपत्ति- वर्ष 2007-2008 में मायावती द्वारा चुकाया गए 26 करोड़ के टैक्स ने उन्हें देश के शीर्ष बीस कर दाताओं की सूची में शामिल कर दिया. मुख्यमंत्री के पास इतना धन होना कोई आम बात नहीं है. इससे पहले सीबीआई ने मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी, जिसके अनुसार उन्हें अपने आय के स्त्रोतों का ब्यौरा देना था. मायावती के समर्थकों ने इस संपत्ति को समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा दी गई राशि और तोहफे बताया. विभिन्न मूर्तियों और प्रतिमाओं का निर्माण करवाना- मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मायावती ने जगह-जगह बौद्ध धर्म और दलित समाज से संबंधित कई मूर्तियों का निर्माण करवाया है. अपने आदर्श कांशीराम की भी एक बड़ी प्रतिमा का लोकार्पण किया है. इन सब प्रतिमाओं पर अनुमानित खर्च लगभग 2000 करोड़ बताया जाता है. इतना ही नहीं विरोधियों के डर से मायावती ने इन प्रतिमाओं के संरक्षण और सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती से संबंधित योजना को भी मंजूरी दे दी थी. उत्तर प्रदेश के सामाजिक हालात- उत्तर प्रदेश की जनता के हालात दिनोंदिन खराब होते जा रहे हैं. देश में महिलाओं की स्थिति त्रासद बनी हुई है. हत्या, बलात्कार और दलितों पर हो रहे अत्याचार उत्तर-प्रदेश की स्थिति को चिंताजनक बनाए हुए हैं. आय के साधनों का अभाव भी उत्तर-प्रदेश के लिए गंभीर परिणाम पैदा करने लगा है.